शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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स्वार्थ | कविता | बेफ़िकीर | ८ | |
सगळेच हुशार ! | गद्य साहित्य | दिलसे | ७ | |
चित्रपट परीक्षण-"अवतार" | गद्य साहित्य | क्षणाचा सोबती | ५ | |
नशीब हे शिकलो - ४९ | गद्य साहित्य | व्हिके | ९ | |
निमित्त | कविता | चौकस | ५ | |
अस्तित्व | कविता | आशिश नान्द्रे | २ | |
ते कुणाचे शब्द होते? | कविता | मिलिंद फणसे | १० | |
नंदलाला | कविता | परिचारक ऋता | ||
वैश्विक व्याकरण | गद्य साहित्य | पुलस्ति | २ | |
चांदणशेला | कविता | कामिनी केंभावी | ११ | |
गहिवर ओले.. | कविता | श्वास स्वातीचा | १ | |
वाजवा टाळी ! | गद्य साहित्य | कुशाग्र | ५ | |
शिशिर | कविता | कमलाकर दिवाकर | ||
पोळीचा चिवडा - २ | पाककृती | मृ | २ | |
पुन्हा वाजवूनी पावा | कविता | अनुबंध | ४ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |