शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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दिव्यदृष्टी २ | गद्य साहित्य | कुशाग्र | ४ | |
एक ढेरी...! | कविता | खोडसाळ | १० | |
वाघ | कविता | गंगाधरसुत | २ | |
नवल | कविता | यशवंत जोशी | ४ | |
विकिपीडिया सदस्य बैठक | कार्यक्रम | विकिकर | ||
चूक | कविता | कमलेश पाटील | २ | |
जाणीवा भरकटलेल्या | गद्य साहित्य | अरुंधती कुलकर्णी | ८ | |
"तू" | कविता | अलि | ६ | |
तीर्थरूप | कविता | अलोक जोशी | २ | |
यालाच का प्रेम म्हणता. | कविता | विजिगीषा | १ | |
"उषःकाल" | कविता | शैवप्रकाश | ४ | |
पोचल्यानंतर | कविता | भूषण कटककर | ५ | |
दुधी भोपळ्याचे रायते | पाककृती | श्वेता१२३ | ||
दह्यातला पालक | पाककृती | अरुंधती कुलकर्णी | १ | |
ताकातली खिचडी | पाककृती | अरुंधती कुलकर्णी | १ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |