शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
---|---|---|---|---|
स्मृतिगंध-१२ "व्हेळ ते फ्रांकफुर्ट : एक प्रवास" | गद्य साहित्य | वामनसुत | ८ | |
आज ही तू डोळ्यासमोर पुर्वीसारखाच | कविता | पुष्पलता करंगुटकर | २ | |
अशक्य केवळ-३ | कविता | केशवसुमार | ८ | |
अशक्य केवळ - २ | कविता | खोडसाळ | २ | |
माय मातृभूमी | कविता | असे कसे. | १ | |
(अशक्य केवळ) | कविता | श्रावण मोडक | ६ | |
मागणे | कविता | यशवंत जोशी | ३ | |
वारसा ! | कविता | चैतन्य दीक्षित | १४ | |
माझ्या जिवनात | कविता | प्रसाद कोलते | १ | |
शब्द | कविता | प्रसाद कोलते | २ | |
बॉ ची बा | गद्य साहित्य | मन्जुशा | ७ | |
ससा | कविता | भूषण कटककर | २ | |
स्मृतिगंध-११ "गोकुळ" | गद्य साहित्य | वामनसुत | ||
कवी झालो... | कविता | अदिती | २३ | |
...उदयात शोध काही! | कविता | मुमुक्षू | १२ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
---|---|---|---|
माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |