शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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पाऊस! | कविता | चैतन्य दीक्षित | १ | |
सल... | कविता | मनीषा२४ | १ | |
स्वप्नं | कविता | चिन्नु | ४ | |
कटकट---कुणाची? | गद्य साहित्य | मुग्धा रिसबूड | १ | |
हायको - वाट | कविता | अनंतसुत | १ | |
हायको - पाउस | कविता | अनंतसुत | ३ | |
सत्य . . . | कविता | अनंतसुत | ३ | |
जनात-मनात.. | कविता | सुषमा करंदीकर | ९ | |
स्वप्न.... | कविता | संपदा१ | ७ | |
डोसा | पाककृती | रोहिणी | १० | |
आठवण | कविता | कौतुक शिरोडकर | १ | |
डे | कविता | कौतुक शिरोडकर | ३ | |
बुद्ध्यांक म्हणजे काय? | चर्चेचा प्रस्ताव | अदिती | २९ | |
गॉड झिज मेट ऑन्स सुरीनाम (गॉड बी विथ अवर सुरीनाम) ४ | गद्य साहित्य | खास मैत्रिण | २ | |
माझे हैदराबादमधिल प्रशिक्षण | गद्य साहित्य | मृचंपा | ८ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |