शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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ब्रेड रोल | पाककृती | प्रीती आशिष | ६ | |
आता ( नकोच ) नको | कविता | राजगुडे | ||
...आता नको! | कविता | खोडसाळ | ४ | |
वीस लाख नाणी वाया गेलीत..? | गद्य साहित्य | मानस६ | २ | |
विसरून गेलो...! | कविता | ऋतुगंध | २ | |
विसरून गेलो...! | कविता | ऋतुगंध | ||
'दोहे'-२ | कविता | केशवसुमार | १ | |
मला "सिकंदर" व्हायचय | कविता | सचिन काकडे | ||
जयपुरी पनीर | पाककृती | अपर्णा १ | ५ | |
'पोहे' | कविता | केशवसुमार | २ | |
(...मित्रा) | कविता | केशवसुमार | ४ | |
अमेरिकायण! (भाग ३: न्यूयॉर्कशी भेट) | गद्य साहित्य | ऋषिकेश दाभोळकर | १४ | |
..बेट्या | कविता | संतोष कुलकर्णी | ५ | |
कसे लिहावे...? | कविता | खोडसाळ | ५ | |
संजय उवाच | कविता | ऋषिकेश दाभोळकर | १२ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |