शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
---|---|---|---|---|
हा तारा कोणता? | गद्य साहित्य | सर्वसाक्षी | १५ | |
मोहन गेला कुणीकडे ---२ | गद्य साहित्य | कुशाग्र | १२ | |
माझीही अपूर्वाई - भाग ३ | गद्य साहित्य | आनंदघन | ४ | |
सात वर्षांनी ... | गद्य साहित्य | मुक्तसुनित | ११ | |
मत्सर | गद्य साहित्य | अनमिक | ५ | |
पहिली भेट | कविता | शीला७१२ | ५ | |
दोन चाकोरीबाहेरची आत्मचरित्रे भाग २ | गद्य साहित्य | चौकस | ३ | |
मोहन गेला कुणीकडे ?----१ | गद्य साहित्य | कुशाग्र | ३ | |
दोन चाकोरीबाहेरची आत्मचरित्रे भाग १ | गद्य साहित्य | चौकस | १ | |
स्वतःचसाठी... | कविता | अजब | ५ | |
मुळ्याची भाजी | पाककृती | जुईली | ३ | |
अर्थवाही | कविता | मिलिंद फणसे | ११ | |
माझपण | कविता | प्राजा | १ | |
हवं आहे एक आभाळ! | कविता | जयन्ता५२ | ९ | |
तक्ता (टेबल) कसा द्यावा | faq | अनु | ८ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
---|---|---|---|
माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |