शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
---|---|---|---|---|
पिंगा | कविता | अदिती | ८ | |
तुमान लेका | कविता | केशवसुमार | ६ | |
काही प्रश्न | गद्य साहित्य | निनाद२९ | १० | |
वादळ-रेघा | कविता | पुलस्ति | ३ | |
मी कवी नाही | कविता | टवाळ | १० | |
शब्दार्थाची शिक्षा | गद्य साहित्य | छू | १६ | |
बघ माझी आठवण येते का ? | कविता | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे | ३ | |
वासोटा (व्याघ्रगड) | गद्य साहित्य | जीएस | १२ | |
गुढीपाडवा आणि चिंगीची दोस्त मंडळी | गद्य साहित्य | सुवर्णमयी | ११ | |
जी. ए. | कविता | केवाका | १ | |
जाहीरनामा | गद्य साहित्य | हॅम्लेट | ८ | |
एका प्रोग्रामरची 'अनु'दिनी: आता परत काय? | गद्य साहित्य | अनु | १६ | |
मटकी पुलाव | पाककृती | रुतुकरन्दिकर | ३ | |
व्रतस्थ | कविता | दाते | ||
सणकन जावा जीव | कविता | कामिनी केंभावी | ३ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
---|---|---|---|
माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |