शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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पाणी भरा | गद्य साहित्य | सुनील जोशी | ९ | |
शोभते कां ? | कविता | फ़िनिक्स_२ | २ | |
पाऊस वेडा ! | कविता | फ़िनिक्स_२ | १० | |
वाहन देवता | गद्य साहित्य | सर्वसाक्षी | २१ | |
((गाफ़िल)) | कविता | कारकून | १५ | |
हे शब्द असे लिहा ( ए - क ) | गद्य साहित्य | महेश | २ | |
मौलिक विचारधन | गद्य साहित्य | सचिन म्हेत्रे | ८ | |
धर्मनिरपेक्षता | चर्चेचा प्रस्ताव | अनिलकुमार | ६ | |
पाऊस कोसळू दे | कविता | चित्त | २९ | |
वाद-संवाद | कविता | विक्षिप्त | ९ | |
गणिती कोडे | गद्य साहित्य | सुनील जोशी | १५ | |
शाब्दीक कोडे | चर्चेचा प्रस्ताव | वेदश्री | ८७ | |
द दा विंची कोड !! | चर्चेचा प्रस्ताव | नीलेश कुलकर्णी | २३ | |
बोलणारी झाडे | कविता | रन्गबावरी | ४ | |
मेघ राग | गद्य साहित्य | दिगम्भा | ९ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |