शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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दाटलेल्या पावसाचे... | कविता | क्षिप्रा | ६ | |
दोन महापुरुष | गद्य साहित्य | सर्वसाक्षी | १४ | |
रोजच्या कामातले गडबडघोटाळे | चर्चेचा प्रस्ताव | अनु | ४८ | |
तुंग - तुंगी | गद्य साहित्य | सर्जा | ६ | |
तुझे जाणे.... | कविता | चिन्नु | २ | |
फाळणी | कविता | मेघदूत | ||
हे शब्द असे लिहा ( आ - इ ) | गद्य साहित्य | महेश | १० | |
५३. होता दुर्बल एक जीव - बालकवी | कविता | नीलहंस | ३ | |
पाऊस | कविता | कुमार जावडेकर | १८ | |
चंद्रकोर | कविता | अजय१०३ | ७ | |
ती... | कविता | देवमाणूस | ९ | |
राणीच्या देशातील मनोगती... | चर्चेचा प्रस्ताव | बंड्या | ८ | |
तुमच्या-आमच्यासठी कुणी...... | कविता | अभिजित पापळकर | १८ | |
मस्त शारदीय रात प्रकाशन समारंभ | गद्य साहित्य | अकलेचे कान्दे | ३ | |
शिल्पकार | कविता | शैलेश खांडेकर | ५ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |