शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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ही 'कविताच' आहे हे कशावरून ठरते? | चर्चेचा प्रस्ताव | भूषण कटककर | ६ | |
भेट | कविता | प्रसाद कोलते | २ | |
घार | कविता | भूषण कटककर | ३ | |
विनोदबुद्धी...! | कविता | चैतन्य दीक्षित | १२ | |
तो पावसाळा | कविता | जयन्ता५२ | ४ | |
(झोडल्यानंतर ) | कविता | भूषण कटककर | ३ | |
एकदा... | कविता | हेमंत राजाराम १ | ७ | |
झोडल्यानंतर.. | कविता | चैतन्य दीक्षित | ५ | |
कधी वाटतं... | कविता | सविता दिवेकर | १ | |
पावसाळी | कविता | सतीश वाघमारे | १४ | |
आकाशाचं देणं | कविता | यशवंत जोशी | १ | |
फायरफॉक्समध्ये शुद्धलेखन चिकित्सा | चर्चेचा प्रस्ताव | ओक | ३ | |
समुद्र आणि नदी | कविता | शीतल मुळीक | ३ | |
स्वामी | कविता | भूषण कटककर | ३ | |
युद्धस्य कथा : २. एक नदी, एक विमान आणि सहाजण | गद्य साहित्य | प्रीति छत्रे | ८ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |