शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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एका लग्नाची गोष्ट | गद्य साहित्य | कल्याणी कोळवणकर | १२ | |
इंग्लिशाळलेले मऱाठी : काही उपाय? | चर्चेचा प्रस्ताव | नितीन | ६८ | |
दूर पळ दूर पळ | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | ५ | |
मते | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | ||
पालखी | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | २ | |
भास | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | १ | |
वादळ | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | १ | |
एक वादळ मनामध्ये.... | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | १ | |
अश्रू | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | ४ | |
खंत | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | ३ | |
कोटीच्या-कोटी - भाग-३ | गद्य साहित्य | मानस६ | २० | |
शक्ति | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | ||
कित्ता | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | २ | |
छंद | कविता | अनिरुद्ध१९६९ | २ | |
'आपलं' | गद्य साहित्य | अनिलकुमार | ४ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |