शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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नकळत..... | कविता | जयेन्द्र | १ | |
दधिची | कविता | अभिजित पापळकर | ८ | |
स्वार्थ | कविता | आभास | ||
रामरक्षेतील रामकवचाचे गुपित | गद्य साहित्य | दिगम्भा | १८ | |
काहीच नाही.. | कविता | जयेन्द्र | ||
जगण्यासाठी.. | कविता | जयेन्द्र | १ | |
सुख.. | कविता | जयेन्द्र | ||
सुतळीबॉम्ब'ची चाचणी | गद्य साहित्य | पंकज जोशी | ११ | |
फक्त तूझ्याचसाठी | कविता | मुक्ता७७ | २ | |
हस्ताक्षर आणि चित्रकला | चर्चेचा प्रस्ताव | माझी दुनिया | ९ | |
आम्ही सिनेमा पाहतो... | गद्य साहित्य | स्वाती दिनेश | २४ | |
वेडात दौडले | चर्चेचा प्रस्ताव | प्रफ़ुल्ल७७ | १८ | |
याहू ग्रुप्सचे काय करावे? | चर्चेचा प्रस्ताव | विकिकर | ५ | |
शोध | कविता | स्मरण | ||
आता मी तुला पुन्हा आठवणार नाही | कविता | मेघाप्रेमी | २ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |