शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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अस्तित्व | कविता | पुजा४४८१ | ||
अस्सल मराठी टुलबार | गद्य साहित्य | रोहन जगताप | ५ | |
त्याच वळणावर.... | कविता | फटाकडी | २ | |
प्रणय | कविता | भूषण कटककर | ||
मिश्र भाज्यांचे थालीपीठ | पाककृती | श्वेता१२३ | १ | |
युद्धस्य कथा : ३. ते जीवघेणे काही सेकंद... | गद्य साहित्य | प्रीति छत्रे | ८ | |
सुरमई रस्सा | पाककृती | चौकस | ||
अस्तित्व | कविता | आमोद२७ | १ | |
प्राण | कविता | आमोद२७ | ||
सरपटणारे विनोद (२) | गद्य साहित्य | क्षणाचा सोबती | १ | |
लहानपण | कविता | सुप्रिया चाफेकर | १ | |
हिशेब | कविता | कमलेश पाटील | १ | |
त्या वळणावर. | कविता | फटाकडी | ८ | |
एक झोपडी - १९८६ | कविता | भूषण कटककर | ३ | |
धुंद रात्र | कविता | सुप्रिया चाफेकर |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |