शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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श्रावण...! | कविता | ऋतुगंध | ७ | |
वाढदिवस! | गद्य साहित्य | साती | २७ | |
सुखी | कविता | मुरारी | २ | |
नशिब | कविता | मी कविता | ||
स्वप्न | कविता | मी कविता | ||
देवता?? | कविता | मी कविता | २ | |
उपकार | कविता | मीनु | ५ | |
वर्गणी! | चर्चेचा प्रस्ताव | विक्रम जाधव | १८ | |
हॅरी पॉटर | चर्चेचा प्रस्ताव | सुलक्षणा | १५ | |
गलथानपणा आणि रक्तदाब | गद्य साहित्य | सन्जोप राव | १८ | |
... मी सगळे गमावले (गजल) | कविता | अजब | ११ | |
बंडू शाळेत जातो! | कविता | प्रसाद | १५ | |
फ़रफ़ट-अंताकडे | कविता | तरुणरसिक | २ | |
सांग रे गड्या... | कविता | चाणक्य | ६ | |
काहीच कळत नाही ! | कविता | सुमति वानखेडे | ७ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |