शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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लिहीन म्हणतो | कविता | सतीश वाघमारे | १३ | |
खरं काय आणि खोटं काय...४ | गद्य साहित्य | सन्जोप राव | १५ | |
दिवाणा | कविता | अलोक जोशी | ३ | |
सारे धुवून नेले ... बेभान पावसाने | कविता | भूषण कटककर | ८ | |
खरं काय आणि खोटं काय...३ | गद्य साहित्य | सन्जोप राव | २ | |
कीव...! | कविता | प्रदीप कुलकर्णी | १० | |
जोगवा | कविता | गंगाधरसुत | ||
खरं काय आणि खोटं काय...२ | गद्य साहित्य | सन्जोप राव | २ | |
कासावीस | कविता | बाबासाहेब जगताप | १ | |
भविष्याच्या वाटेवर | कविता | अलोक जोशी | २ | |
खरं काय आणि खोटं काय... १ | गद्य साहित्य | सन्जोप राव | ||
दुखविल्यानंतर | कविता | भूषण कटककर | ४ | |
फुले | कविता | अलोक जोशी | ||
एक कळी | कविता | प्रसाद कोलते | २ | |
ज्ञात-अज्ञात! | कविता | चैतन्य दीक्षित | ३ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |