शीर्षक | प्रकार | लेखक | अद्यतन | प्रतिसाद |
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एकेक दिवस | कविता | सतीश वाघमारे | २ | |
जात ही पावसाची | कविता | जगदिशचव्हाण | २ | |
लग्न करताना ... | गद्य साहित्य | राजवी | ३५ | |
पाउस | कविता | दीपक परुळेकर | २ | |
सोबत | कविता | प्रसाद कोलते | ||
का? | कविता | प्रसाद कोलते | ||
वाट वड आणि आयुष | कविता | प्रसाद कोलते | ||
(...समाधी!) | कविता | खोडसाळ | ८ | |
निरव तराणे | कविता | श्वास स्वातीचा | २ | |
... समाधी! | कविता | प्रदीप कुलकर्णी | २१ | |
मी पाहीले तुला. | कविता | जगदिशचव्हाण | ||
लाज | कविता | ऋषिकेश दाभोळकर | ७ | |
काही असावे | कविता | सनिल पांगे | २ | |
पुळचटांची गर्दी | कविता | राजे विडंबनश्री | २ | |
मालकंस ...! | गद्य साहित्य | चैतन्य दीक्षित | ८ |
शीर्षक | प्रतिसादक | लेखन | अद्यतन |
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माहितीपर लेख आहे ! | संजय क्षीरसागर | आचार्य बोधीधर्म आणि झेन पंथ | |
तुमचे अध्यात्माच्या व्याख्येपासूनच गोंधळ आहेत ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बर! | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मन किंवा विचार हा विक्षेप आहे ! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
बुद्धावस्थेची तुम्ही फक्त कल्पना करतायं! | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
विक्षेप | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
जाणीव | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
पहिल्या मुद्याच्या अनुषंगानं आणखी थोडं | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
मनाचं निस्सरण म्हणजे | संजय क्षीरसागर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! | |
अध्यात्म... | सोकाजीत्रिलोकेकर | अष्टावक्र संहिता : ७ : मला एकाग्रता साधावी लागत नाही कारण मला विक्षेप नाही ! |