कविता |
अर्पण |
मृण्मयी |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कुठे तिचा देह चंदनाचा कुठे तिचे ओठ केशराचे |
माफीचा साक्षीदार |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कशासाठी..?? |
निनावी |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मुक्तक आणि गजल |
अजब |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
(नसे तुझा देह चंदनाचा, न हे तुझे ओठ केशराचे) |
कारकून |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कधी तुझा देह चंदनाचा, कधी तुझे ओठ केशराचे! |
चित्त |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अक्षरांना आस गीतांची |
प्रसाद |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
गझल |
स्वप्निल रीलोडेड |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
(सत्र)(असेही!) |
चक्रपाणि |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
(सत्र) |
कारकून |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सत्र |
वैभव जोशी |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हलके |
अभिजित पापळकर |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
बायकोशी हातघाई चालली |
टीकाराम |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
असहाय |
जयन्ता५२ |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हिंदोळा |
शिवश्री |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सोहळा |
वैभव जोशी |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
रहाटगाडे |
निनावी |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शीलास नाव आहे |
टीकाराम |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
'संमेलनात' आता आडून वार होणे |
कुल्फी |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हातघाई |
शिवश्री |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शब्दवेल्हाळ |
कुमार जावडेकर |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वादळ |
विक्षिप्त |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
(लोकांना टाळत बसलो आहे) |
कारकून |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ढुरढूरढूर झाली |
टीकाराम |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी आठवणींना टाळत बसलो आहे |
प्रसाद |
१७ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |