कविता |
का मी आज़ पुन्हा उगीच बसलो मांडून ही खेळणी? (शार्दूलविक्रीडित ग़ज़ल) |
प्रणव सदाशिव काळे |
१७ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
असे प्रेम देवा |
साकार |
१७ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तुझ्या शपथ हे खरे! |
टवाळ |
१७ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
रात्री जे घडले त्याची दिवसाला वार्ता नसते |
प्रणव सदाशिव काळे |
१८ वर्षे २ तासांपूर्वी |
कविता |
किति छान दिसशी तू |
टवाळ |
१८ वर्षे ४ दिवसांपूर्वी |
कविता |
विडंबन - केव्हा तरी पहाटे |
कुल |
१८ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
जेवणाचे नियम सारे मोडले मी |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
नियम |
कुमार जावडेकर |
१८ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
कंठात प्राण आले |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
शब्दांत प्राण आले |
नीलहंस |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
इतकी सुंदर का दिसते ही? |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
जोडले मी शब्द काही |
नीलहंस |
१८ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
अशी सदिच्छा करते दुनिया |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
ही हवा, हा नदीचा किनारा |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
हर क्षणी बदलते आहे रूप जिंदगी |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
मुंबईबाहेरचे घर छान! |
महेश |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
शोध.. |
एस के |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
ज्येष्ठ नागरिक जीवनसाथी |
टवाळ |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
जुळवून ठेव तारा |
कुमार जावडेकर |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
तिला का लागली उचकी नका मागू खुलासा |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
माझ्या मनची गंगा आणि तुझ्या मनच्या यमुनेचा |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
स्त्री म्हणजे आईची वत्सलता |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
नवार ल्यावी मराठमोळी |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मराठमोळी |
कुमार जावडेकर |
१८ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मध्यरात्री जागणे - एक आयुर्वेदिक गझल |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |