कविता |
मरणाच्या छायेमध्ये बागडणे सोपे नाही! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ही तुझ्या कृपेची किमया...लाभली मुक्याला वाणी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
......काळ आला |
रत्नाकर अनिल |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
प्राण माझा जायचीही वाट नाही पाहिली! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जगण्यास अमृताची आली जणू खुमारी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
स्वप्न मलाही बघावयाची आवड होती! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हाक केव्हाची कुणाची ऐकतो मी? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
साथ |
कुमार जावडेकर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
स्मितांचे जीवघेणे वार करणे ठीक नाही |
मिलिंद फणसे |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काळजास सहजी माझ्या कुसकरून गेले कोणी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
देवो कुणीही काही दिलासा, रोगास माझ्या उपचार नाही! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वागलो इतका न काटेकोर मी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सोशीन सर्व आता सल मी पराभवांचे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
नशीब माझे खरोखरी खोडसाळ आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
लागला गळफास तेव्हा तरतरी श्वासात आली! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ओलावा ... |
अनुबंध |
१२ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ईश्वराची नसे दिरंगाई |
जयन्ता५२ |
१२ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
''चुकले माझे'' |
कैलास गायकवाड |
१२ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आली समज, मी जाणता झालो |
मिलिंद फणसे |
१२ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी एकटा |
रत्नाकर अनिल |
१२ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दु:ख कशाला? |
निशिकान्त दे |
१२ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तीच खिडकी तोच दरवाजा जुना |
स्नेहदर्शन |
१२ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दार वाजले |
रत्नाकर अनिल |
१२ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
., नजदीक ती |
रत्नाकर अनिल |
१२ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जीवनाची कैफियत कोणा पुढे मांडायची |
मयुरेश साने |
१२ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |