कविता |
ओळखू नाही मला आला सुखाचा चेहरा! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
प्रेम करणे, ते टिकवणे ही कला आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
घरबसल्या संपर्क जगाशी साधत आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शब्दब्रह्माचाच मी आहे पुजारी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तारा कुणी मनाच्या या छेडल्या अचानक? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
विसकटलेली घडी बसवती समर्थ स्वामी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काय तो वदणार मजला पाठ आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कर्ज |
जयन्ता५२ |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
खरेच जादू, प्रिये! तुझ्या पैंजणात आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शीड नाही, ना सुकाणू! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
भ्रमंती |
कुमार जावडेकर |
१२ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
चालले ते ठीक आहे! छान आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
समजून घे तू |
जयन्ता५२ |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जमेल तितकी हझल अरे मी करून घेतो! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तू सोबतीस जोवर, तोवर मजेत आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हृदयात वंचनेचा ताजा प्रहार होता |
उ. म. |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
उठला दुरावा दोन टोकाच्या मनांचा... |
अजय जोशी |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वृत्त गझलेचे उचलले, अन् गझल झाली! |
चैत रे चैत |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मरणे झकास झाले.! |
तन्मय फाटक |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दोन मुक्तके |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
घोट दु:खांचा रिचवला, अन् गझल झाली! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कशास चांदणे हवे? हवा कशास चंद्रमा? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दुर्दशा माझी बघाया लोटली गर्दी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मनाने घेतले आहे नशेचा आसरा घ्यावा |
वैवकु |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सूर्यही हाईस आला, काय हाहाक्कार होता! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |