सहजीवन |
उद्धव कराड |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
ये सुखा! गुंडाळल्या मी वेदना!.....तरही गझल |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
विटले रे लोक सारे या सरकारला |
प्रजोत कुलकर्णी |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
चहूकडे तूच तू! तरीही, तुलाच धुंडाळतो कधीचा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
हायकू - |
विदेश |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
जीवाश्म मी! जणू मी, तो काळ, लोटलेला! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
विसावा |
उद्धव कराड |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
लपून रहा प्रिये |
राजेंद्र देवी |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
एक स्थानबद्ध आनंदी कैदी मी... |
सृष्टिलावण्या |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
उगाळतो मी तुझ्या स्मृतींचे चंदन अजून सुद्धा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
आजकाल हे असे आहे... |
निमिष सोनार |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
हासत ऱ्हा लाऽडक्या हासत ऱ्हा |
टवाळ |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
काय हे प्राणांत माझ्या सारखे झंकारते? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
पाणकळा |
उद्धव कराड |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
तुझ्या मिठीत... |
राजेंद्र देवी |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कशास चांदणे हवे? हवा कशास चंद्रमा? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
मी आणि तू (१) |
मनीषा२४ |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
सुने सर्व रस्ते, पुकारू कुणाला? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कोंबडीचे प्रेमगीत |
मिलिंद फणसे |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
असे नव्हते कधी |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
क्षण दुखरे - हसरे |
उद्धव कराड |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
हात दिला हातात तुझ्या मी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
एकटा गेला, परंतू पावले सोडून गेला! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
ग्रहासारखा नर तो फिरतो, ती तार्यागत दुस्तर असते! |
खोडसाळ |
११ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
ग्रहासारखा जो तो फिरतो, प्रत्येकाला घरघर असते! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |