कविता |
भवन तव उत्तुंग आहे ... |
टवाळ |
१३ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कठोपनिषद तिसरी वल्ली |
महाराष्ट्रीय |
१३ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हृदय तोड दे - दगा जर दिला - कारावके |
गंगाधर मुटे |
१३ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अशि पाहु नकोस मजकडे |
टवाळ |
१३ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ईश्वरा , देशील तो स्वीकारला मी न्याय रे |
टवाळ |
१३ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जरा डोळ्यांना सांग बरे, म्हणावे, नेम न चुकावा |
टवाळ |
१३ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
न तू धरेकरता, तू न अंबराकरता |
टवाळ |
१३ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हे शशिसम उज्ज्वल आनन - कुंतल चमकत जणु कांचन |
टवाळ |
१३ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मना, उगीचच इतके तू रडतोस कशाला? |
अजब |
१३ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मनोरम चांदण्या राती निजू नाहीत देत मला |
टवाळ |
१३ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कठोपनिषद।मराठी साकीबद्ध रुपांतर द्वितियवल्ली |
महाराष्ट्रीय |
१३ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जगे मी; परी जीवनावर रुसे मी |
टवाळ |
१३ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कठोपनिषद / मराठी साकीबद्ध रुपांतर प्रथमवल्ली नं २५ पासून |
महाराष्ट्रीय |
१३ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कठोपनिषद मराठी साकीबद्ध रुपांतर वृत साकी नं१३ ते २४ |
महाराष्ट्रीय |
१३ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कठोपनिषद / प्रथमवल्ली [वृत्त साकी] १ते१२] |
महाराष्ट्रीय |
१३ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सूर राहू दे ! |
राधामोहन |
१३ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
यौवना, खुळ्या, तुझा विजय असो |
टवाळ |
१३ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अंतर्यात्रा |
हरिभक्त |
१४ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मजला असे अनुज्ञा जरका - गाणे एक म्हणू मी? |
टवाळ |
१४ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
घुंगरांसारखा ... वाजतच राहिलो मी असे |
टवाळ |
१४ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सागरकिनारी - मन हे पुकारी |
टवाळ |
१४ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
प्रतिबिंब |
हरिभक्त |
१४ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सांगू दे - सांगू दे |
टवाळ |
१४ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कमळा मी कमळा |
टवाळ |
१४ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
राहतील येत वसंत - राहतील जात वसंत |
टवाळ |
१४ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |