मी तुझ्या दारात होतो! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
या खाण्यावर प्रेम करावे |
कमलाकर दिवाकर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
पुरे!...... |
अलोक जोशी |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
लिहिण्यास आज आम्हा आली नवी खुमारी! |
केशवसुमार |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
काठी |
प्रा. संजय पाटील |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
जगण्यास का फुकाची येते अशी खुमारी? |
खोडसाळ |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
मरणाच्या छायेमध्ये बागडणे सोपे नाही! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
बडबडगीत.... |
शशांक पुरंदरे |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
रान... |
शशांक पुरंदरे |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
ही तुझ्या कृपेची किमया...लाभली मुक्याला वाणी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
......काळ आला |
रत्नाकर अनिल |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
दु:ख झाले पाखरू |
जयश्री अंबासकर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
मनास वाटे - |
विदेश |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
प्राण माझा जायचीही वाट नाही पाहिली! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
स्वाद अमृताचा |
सुरेश्जो |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
जगण्यास अमृताची आली जणू खुमारी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
स्वप्न मलाही बघावयाची आवड होती! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
काही शब्दकळा... |
अनिरुद्ध१९६९ |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
पानगळीच्या दिवसात... |
अनिरुद्ध१९६९ |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
ओढ |
प्रा. संजय पाटील |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
हाक केव्हाची कुणाची ऐकतो मी? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
प्रेमास्तव |
माझी कल्पना |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
साथ |
कुमार जावडेकर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
याद आली खूप; म्हणुनी, काय तो माणूस येतो? (तरही गझल) |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
आयुष्याची संध्याकाळ |
शब्द्ववेडी |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |