कधी मी एक पेग् प्यालो, कधी मी झोकल्या धारा! |
खोडसाळ |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
भाबड्या मनाला माझ्या पढवून नको ते बसलो! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
तुझा आभासही आता मनाला वाटतो दावा! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कधी मी आगही प्यालो, कधी मी झोकला वारा! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
आता खरी कळाली गोडी मला फळांची! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
विस्मृती झरतात संततधार हल्ली! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
पोळले काळीज तेव्हा नितळली माझी गझल! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
दिवाळी ! |
मनिष भाटे |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
पावले ऋतूंची मीही पाहणे जरूरी होते! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
काल चाखली तेव्हा मजला अर्थ कळाला डुलण्याचा! |
चैत रे चैत |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कधी काळ आपला नाही म्हणून |
अनंत ढवळे १ |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
मरणानंतर... |
प्रदीप कुलकर्णी |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
दिसावयाला हरेक माणूस संत आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
काळजाची कांच |
जयन्ता५२ |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
मी तिच्या पत्रातला मजकूर होतो! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
जाता जाता |
एक अज्ञात |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
पूर्णविराम |
राजेंद्र देवी |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
वाट पाहत आहे ... |
यशपाल पाटील |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
अरे मानवा |
अनंत खोंडे |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
भोवती अंधार वारेमाप आहे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
सुज्ञपणाचा बुरखा मजला कधी न आला पांघरता! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
फळे चाखली तेव्हा मजला अर्थ कळाला फुलण्याचा! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कोरा |
कोहम् |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
देव राहतो नभी - भूवरी नि मी |
टवाळ |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कळेना लागला माझ्या जिवाला ध्यास कोणाचा? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |