कविता |
माझ्या मनची गंगा आणि तुझ्या मनच्या यमुनेचा |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
प्रीतिसंगम |
टवाळ |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
भुताचे घर |
के. सौरभ |
१८ वर्षे १ महिन्यापूर्वी |
कविता |
मुक्तक - मी जिला माझी म्हणालो ती कुणा दुसऱ्याच पुरुषावर म्हणे आसक्त आहे |
माफीचा साक्षीदार |
१८ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
स्वप्न तू की खरी हकिकत |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
धुसर ….. |
साकार |
१८ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मेघदूत (श्लोक २२-२७) |
शैलेश खांडेकर |
१८ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तुझ्या हव्या हव्याशा चेहर्याला |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी मजेत आहे |
मोगॅम्बो |
१८ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
चुकोनी येवुनी बसले |
छिद्रान्वेषी |
१८ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
चंद्र निश्वास सोडिल |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जे जे तुला रूचेल, तेच काम मी करेन ! |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तुझ्या डोळ्यांवरती मी भाळलो ग ! |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अर्धा हा चंद्रमा, अन् रात्र अधुरी |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सगळंच शिकलो जरी मी |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
लाडक्या, हास रे लाडक्या ! |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जिंदगीभर न पावसाची, विसरेल ती रात |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
संसारपराङमुख असशी तू |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
'चुपके चुपके रात-दिन'चा भावानुवाद.... असाही. |
मानस६ |
१८ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
'चुपके चुपके रात-दिन'चा भावानुवाद |
अजब |
१८ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
या हॉस्पिट्ल मधे - गुलज़ार |
तुषारजोशी |
१८ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आई तुला प्रणाम |
नरेंद्र गोळे |
१८ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
चांदीच्या फ़ांदीवर |
सुहास पुजारी |
१८ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
एक गाणे — वांझ संत्र्याच्या झाडाचे |
टीकाराम |
१८ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
निःफळ संत्र्याच्या झाडाचे गाणे - फेडरिको गार्सिया लोर्का |
तुषारजोशी |
१८ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |