कविता |
शहाणपण आले अडल्यावर! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जाहल्या कित्येक गोष्टी, कैक गेल्या राहुनी...... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
बिनधुळीचा आरसा मी पाहिला! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पडझड होवो भले कितीही, शाबूत परी, चौथरा हवा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पहा ऐकलेही धुक्याने! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दर्शनी अण्णा हजारे नाव आहे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
उरात एकेक घाव आहे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
केवढी करतात टाळाटाळ जखमा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे २ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
एक आहे बासरी मी.... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तुझ्याच डोळ्यांनी मी बघतो.... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अमेठीची शेती |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मला एकटक निरखत होती..... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
भोवती माझ्या गळ्याच्या वास्तवाचा फास आहे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जरा कुठे चाहूल लागता..... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मंद, कोणाला जलद तो वाटतो! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मन माझे ऐकत नाही! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पावलांना स्पर्श मातीचा असू दे |
कुमार जावडेकर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
केस ते झटकून होते मोकळी तू! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
न्यावया येणार मजला हाय, कुठली पालखी? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
लोचने पाणावण्याची शक्यता! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शल्य टोचले कधीच नाही |
निशिकान्त दे |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तुझे तेच माझेही गुंजन! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आवराया लोक आले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मुजरे |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हे स्विकारू.... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |