कविता |
आहे तुझ्याचसाठी एकेक श्वास माझा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काळजाला माझिया पडली किती होती घरे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तारांगण आकाशाचे उतरले तिच्या पदरावर! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वाटले की, पाय मजला नेत होते.... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काळजात बिनजखमांचा कोपरा राहिला नाही! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
बोल तू सारे उद्या, पण, आज नाही! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कोण वाचू, कोण चाळू लागले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आधी कुणी? |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ८ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अता फुलांचा सुगंधही मी दुरून घेतो! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
एरव्ही शिवराळ सगळ्यांचीच वाणी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
एकेक श्वास माझा केला तुझ्या हवाली! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आसू |
उद्धव कराड |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वास्तवाशी झुंजण्याची आज सुद्धा धमक आहे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी न जगतोच माझियासाठी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
समुद्रासही त्रास देते पिपासा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
फार तोलून मनातील जगाशी बोला! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जन्माच्या वरदानाला किंचितही वरपण नाही! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कधी बुडालो, कुठे कुणी ऐकला पुकारा? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
झोप रात्रीस आजकाल कुठे? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कधी मी स्वत: रंग अन् ढंग केले |
मिलिंद फणसे |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
धमक |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
चालतो मी |
उद्धव कराड |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वाटते मजला भिती - (गझल) |
विदेश |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी रोज व्यक्तिमत्व सुधारून पाहतो! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
लागली येऊ शिसारी सांत्वनांची! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ९ महिन्यांपूर्वी |