कविता |
मी काही स्वप्नांच्या नुसता सोबत बसतो |
प्रसाद लिमये |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काळवंडली सकाळ आहे |
निशिकान्त दे |
११ वर्षे ३ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आज |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
स्तोम इतके नाटकाचे |
निशिकान्त दे |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
टिकले तुफान काही |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पाऊल तुझे पडले अन् धरणीचे सोने झाले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दारू, सत्ता, पैसा, नारी; ध्येय वेगवेगळे |
मिलिंद फणसे |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वाट हरवते फुलांत तेव्हा, काट्यांनाही वाट पुसावी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हेच खरे |
मिलन टोपकर |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
रविकिरणांच्या दिंडीमधला वारकरी मी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मरणही म्हणाले किती भोगशी तू? सजा भोगण्याचा कडेलोट झाला! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ४ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हेलकाव्यानेच एका चाललो झोकात मी.... |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
गगनात वीज लकलकते, अन् तुझी आठवण येते! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कधी जिंदगी फाटली, कोण जाणे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दिसत नाही तरी आहे तुझ्यामाझ्यामधे धागा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
वागाया अवखळ होता, तोंडाचा फटकळ होता! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
खपली |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
म्हणेल ती, वागतो तसा मी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आरशाने पाहिला तो भास होता! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
एरव्ही जगासवे, मी भलेच बोलतो! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
चोरी गुन्हे |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हवा भोवताली गुलाबी गुलाबी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी तुझ्यावर प्रेम केले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काय मी बनणार आहे शेवटी? |
मानस६ |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हझल |
विदेश |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |