कविता |
नजर नजरेशी अचानक आज बोलू लागली! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
किती मानहानी गिळली, काय तुला सांगू? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ती रात्र... |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तुझ्या स्मृतींची सळसळ होते! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ५ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तू...मेघ पावसाचा! मी....चातकाप्रमाणे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पडदे |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ऐकत जावे तुला सारखे |
स्नेहदर्शन |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पोटतिडकीला नको समजूस त्रागा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ताटव्यांमधे काट्यांच्या फुलण्याचे धाडस केले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हृदयात कोरलेले एकेक नाव आहे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मी सुखांना ठोकरून आलो! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अव्याहत चालायाचे पायांनी कबूल केले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
नभी मेघ हिंडायचे बंद झाले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
फुले तुझी, पण, सुवास माझा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जीव कोणी लावल्याचे ज्ञात नाही! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
रोज पाहिजे तुला बहार जीवनामधे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ये सुखा! गुंडाळल्या मी वेदना!.....तरही गझल |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
चहूकडे तूच तू! तरीही, तुलाच धुंडाळतो कधीचा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जीवाश्म मी! जणू मी, तो काळ, लोटलेला! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
उगाळतो मी तुझ्या स्मृतींचे चंदन अजून सुद्धा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काय हे प्राणांत माझ्या सारखे झंकारते? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कशास चांदणे हवे? हवा कशास चंद्रमा? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ६ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
असे नव्हते कधी |
जयन्ता५२ |
११ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हात दिला हातात तुझ्या मी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
एकटा गेला, परंतू पावले सोडून गेला! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ७ महिन्यांपूर्वी |