कविता |
शिवेन एकेक स्वप्न आतून फाटलेले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
रक्त आटते जनतेचे |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
साक्ष नाही, ना पुरावे, कोणता कसला न झाडा! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १५ तासांपूर्वी |
कविता |
श्वास माझे-तुझे एक व्हावे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १ दिवसापूर्वी |
कविता |
तुझे हे वागणे आहे चुकीचे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १ दिवसापूर्वी |
कविता |
हातही देशील तू पण, तेवढाही धीर नाही! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ३ दिवसांपूर्वी |
कविता |
रोज आयुष्य वाटे नवे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ४ दिवसांपूर्वी |
कविता |
नव्हते मनामध्ये तरी, मज हे करावे लागले! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ५ दिवसांपूर्वी |
कविता |
कैक झाले जन्म माझे, का न मिळती उत्तरे? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ६ दिवसांपूर्वी |
कविता |
ते करू देत माझी बुराई! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
संपली स्पंदने, संपल्या वेदना! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
सतावे सारखी चणचण! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
कुणास ज्ञात तुझी आज थोरवी नाही! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
मरणे कठीण झाले |
गंगाधर मुटे |
१२ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
आजकाल केवढे फुशारतात काजवे! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
अजून आहे ठरायचे ! |
फिनिक्स |
१२ वर्षे १ आठवड्यापूर्वी |
कविता |
तुझ्या अंगणातील प्राजक्त मी! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
मी कशी करणार कोणावर चढाई? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
मरणही म्हणाले किती भोगशी तू? सजा भोगण्याचा कडेलोट झाला! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
नाटकी बोलतात साले! |
गंगाधर मुटे |
१२ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
केवढा घेतोस मोठा घास बाळा! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
हरेक गोष्टीमधे जरासा समास ठेवा! |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे २ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
मी मनःशांती अशी हरवू कशाला? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
तहान, भूक भोवती, मजेत मी गिळू कसा? |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |
कविता |
लाभला ना जरी रुकार तुझा; |
प्रोफ़ेसर |
१२ वर्षे ३ आठवड्यांपूर्वी |