कविता |
खरेच पाहतो न आरशात फारसा तसा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कोणतेही पहा इथे नाते! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
स्वप्ने तरी चितारू, इतके तरी करू! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
भोगही उपभोगले मी दिलखुशीने! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
बघ काय हाल आहे, माझे हवाल आहे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
पात्रात वाहणे गंगेसही .... |
वैशाली प |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शेत लाचार झाले |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आयुष्य कैक वेळा बेतून पाहिले मी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
दे भले जिंदगी भिकाऱ्याची! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १० महिन्यांपूर्वी |
कविता |
भांडार हुंदक्यांचे....! |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
शस्त्र घ्यायला हवे |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
हुलकडूबी नाव |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
'काही असे नव्हतेच', म्हणाली... |
मुकुंद भालेराव |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
अन्नधान्य स्वस्त आहे |
गंगाधर मुटे |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ऐन माध्यान्ह अन् सूर्य हा का ढळे? |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
उगा स्वप्न भलते चितारू नये! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
कधी पाऊल हे माझे कुठे घोटाळले नाही! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
आहेच मला माझ्या, अभिमान नकारांचा! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
काय झाले? माझिया अंगावरी ते धावले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
मनात आले, लगेच केले, असे कधीही करू नये! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सुखांची सावली काही क्षणांची! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे ११ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
तुला या बंद डोळ्यांनी पहावे, हात जोडावे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
सोसतो मी दाह माझे, ताव माझे! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
ज्याला हवे ते, तो लिही, कागद जणू आखीव मी! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |
कविता |
जसे प्रेत माझे जळू लागले! |
प्रोफ़ेसर |
११ वर्षे १२ महिन्यांपूर्वी |